जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर: वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा लगातार प्रयास किए जा रहे हैं तो वहीं सामाजिक संस्थाएं, चिकित्सक भी इसमें पूरा योगदान दे रहे हैं। गुरुवार को वैदिक सनातन कल्याणकारी ट्रस्ट, हरिद्वार (उत्तराखंड) ने टीबी से ग्रसित 18 वर्ष तक के 10 बच्चे गोद लिए। इसके साथ ही मुजफ्फरनगर के सरकारी छह चिकित्सकों ने सात बच्चे गोद लिये।
इनमें डॉ. राजकुमार ने एक, डॉ. शाहरुख ने एक, डॉ नरेंद्र ने एक, डॉ अरविंद ने एक, डॉ मयंक ने एक एवं डॉ. एनपी सिंह ने दो बच्चों को गोद लिया और उन्हें पोषण सामग्री वितरित की। गुरुवार को टीबी से ग्रसित 17 बच्चों को गोद लिया गया।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ लोकेश चंद्र गुप्ता ने बताया-टीबी से ग्रसित अधिकतर बच्चे गरीब परिवारों से हैं। सामाजिक संगठन उन्हें गोद ले रहे हैं, ताकि उनकी हर संभव मदद की जा सके। गुरुवार को भी जनपद में टीबी से ग्रसित 17 बच्चों को गोद लिया गया।
एक दिन पहले बुधवार को भी छह बच्चों को गोद लिया गया था। उन्होंने कहा कि टीबी की बीमारी होने की वजह से इन बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और इन बच्चों को पोषण की जरूरत होती है, जिसके लिए उन्हें पोषण सामग्री दी गई।
डाट सेंटर से मिलती है निरूशुल्क दवा व आर्थिक मदद
टीबी के मरीजों को डाट सेंटर से निशुल्क दवा मिलती है। इसके साथ ही सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार चलने तक 500 रुपये प्रति माह आर्थिक मदद भी दी जाती है। यह राशि मरीज के खाते में सीधे ट्रांसफर की जाती है।
ये होते हैं टीबी के लक्षण
दो हफ्ते या उससे अधिक खांसी का होना, दो हफ्ते या उससे अधिक बुखार का होना, सीने में दर्द रहना, तेजी से वजन एवं भूख का कम होना, बलगम में खून का आना, रात में सोते समय पसीना आना।