Sunday, September 8, 2024
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सड़क पर कई छात्राएं बेहोश, जमकर बवाल

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  • कालेज प्रशासन की कारगुजारी से 21 छात्राओं का भविष्य बर्बाद
  • लिपिक पर मुकदमा दर्ज, छात्राओं को कालेज से निकाल दिया था बाहर

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: फीस देने के बावजूद परीक्षा में न बैठने देने को लेकर शनिवार को शारदा रोड स्थित कनोहर लाल कन्या पीजी कालेज में जमकर बवाल हुआ। चिलचिलाती गर्मी में सड़क पर अपने हक के लिए धरना देकर बैठी छात्राएं बेहोश हो गयीं। छात्राओं के समर्थन में इसके बाद वहां हंगामा खड़ा हो गया। हिन्दू संगठन के नेता भी बीच में कूद पड़े और जमकर नारेबाजी हुई। मौके पर बवाल खड़ा हो गया। बवाल भी ऐसा मचा कि पुलिस प्रशासन के आलाधिकारियों तक मामला जा पहुंचा और फिर नौबत पुलिस कार्रवाई की आ गयी। फरार लिपिक पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश तक कर दिए गए है।

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कनोहर लाल पीजी कालेज बीए थर्ड ईयर की छात्राएं शनिवार को पहली पाली में परीक्षा देने पहुंची थीं। परीक्षा सुबह 10 बजे शुरू होनी थी, लेकिन कालेज के गेट पर 21 छात्राओं को एंट्री देने से मना कर दिया गया। घर से परीक्षा देने के लिए पूरी तैयारी से पहुंची इन छात्राओं ने शायद कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि परीक्षा वाले दिन उन्हें कालेज गेट पर रोक दिया जाएगा। उन्हें कुछ समझ में नहीं आया। कई छात्राएं रुआंसी हो गयीं। छात्राओं को बताया गया कि उनकी फीस जमा नहीं हुई, जबकि छात्राएं कालेज के एक कर्मचारी को पहले ही फीस जाम करा चुकी थी। फीस जमा नहीं होने की बात पर छात्राएं गुस्सा खा गई, क्योंकि उन्होंने पहले ही फीस जमा कर रखी थी।

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आंदोलित छात्राओं का कहना था कि वो तो कालेज के एक कर्मचारी की मार्फत पहले ही फीस भर चुकी हैं, लेकिन उनकी इस दलील को कोई सुनने या समझने को तैयार नहीं था। फरमान जारी कर दिया गया था, इन्हें परीक्षा में एंट्री नहीं दी जाए। इस बीच परीक्षा शुरू हो गयी और कालेज का गेट बंद कर दिया। छात्राओं को कुछ समझ नहीं आया कि उनके साथ हो क्या रहा है? उन्हें कुछ और तो सूझा नहीं बस सड़क के बीचों बीच तपती हुई सड़क पर धरना देकर बैठ गयीं। उनके धरने से सड़क पूरी तरह से बंद हो गयी।

छात्राओं के सड़क पर बैठकर धरना देने की बात इलाके में जंगल की आग की तरह फैल गयी। सड़क पर बैठीं इन छात्राओं के समर्थन में भाजपा नेता राकेश गौड़ व कई दूसरे संगठनों के दर्जनों लोग कालेज पर जा पहुंचे और हंगामा शुरू हो गया। कालेज प्रशासन की ओर से इस मामले में सफाई दी गयी कि जिस कर्मचारी को फीस दी गयी है, उसको लेकर पहले ही छात्राओं को आगाह किया था।

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15 मिनट बेहोशी में रही छात्रा

15 मिनट छात्रा नेहा बेहोशी अवस्था में रही। उसकी हालत अचानक खराब होने के बाद कॉलेज मैनेजमेंट के होश उड़ गए। आनन-फानन में छात्रा के चेहरे पर पानी डाला गया और पानी पिलाया गया, जिसके बाद ही छात्रा बेहोशी अवस्था से बाहर आई। इन 15 मिनटों में कॉलेज मैनेजमेंट के भी होश उड़े रहे। वो नहीं समझ पा रहे थे कि आखिर अब होने वाला क्या हैं? क्योंकि पुलिस भी कॉलेज कैंपस में पहुंच गई थी। करीब 15 मिनट तक वह बेहोशी की हालत में थी और उसकी साथी छात्राएं सलोनी और मुस्कान व अन्य छात्राएं उसे होश में लाने का प्रयास करती रही थी। इस दौरान कालेज प्रशासन के भी छात्रा के साथ अनिष्ट की आशंका के चलते होश फाख्ता थे।

छात्राओं की फीस डकारने का जिम्मेदार कौन?

छात्राओं की फीस डकारने वाला कौन था? ये हर कोई जानना चाहता था। कॉलेज से जानकारी करने पर पता चला कि फीस डकारने वाला कर्मचारी मयंक वत्स था, जिसके खिलाफ गत आठ मई को प्राचार्य अलका चौधरी ने तहरीर दी थी। प्राचार्य की तहरीर के बाद ये स्पष्ट हो जाता है कि पहले से ही प्राचार्य को इस प्रकरण का पता था, फिर भी छात्राओं को परीक्षा में क्यों नहीं बैठाया गया, ये बड़ा सवाल हैं। इसमें कहीं न कहीं प्राचार्य की भी बड़ी लापरवाही इसमें रही हैं।

कालेज की ओर से कहा गया है कि मयंक वत्स ने छात्राओं से करीब दो माह पहले फीस के नाम पर 50 हजार रुपये इकट्ठे किये थे। 30 अप्रैल के बाद से वह कालेज नहीं आया, जिसके चलते प्राचार्या अलका चौधरी ने उसकी सेवाएं समाप्त करने के लिये कालेज प्रशासन को लिखा था। आठ मई को उसके खिलाफ ब्रहमपुरी थाने में तहरीर दी गई थी। सूत्रों के अनुसार मंयक वत्स कालेज की छात्राओं से अंदरखाने फार्म भरने के नाम पर बिना कालेज संज्ञान में लाए फार्म भरने का काम घर से कर रहा था। इसकी कारगुजारियों के कारण मामला इतना बड़ा हो गया।

समय से लेते संज्ञान तो नहीं होता यह सब

पूरे प्रकरण पर छात्र प्रतिनिधि अंकित अधाना का कहना है कि जब गत आठ मई को छात्राओं द्वारा पूरा मामला कालेज प्राचार्या के संज्ञान में लाया गया था तो तभी उन्हें पोर्टल खुलवाने की सिफारिश विवि प्रशासन से करनी चाहिए थी। इससे छात्राओं को परीक्षा से वंचित न होना पड़ता और यह सब नहीं होता। अंकित का आरोप है कि अब भी कालेज और विवि प्रशासन अपनी भूमिका से बच रहा है, जोकि गैर जिम्मेदारी भरा रवैया है। देखा जाए तो इस पूरे मामले में कालेज प्रशासन, विवि प्रशासन और पुलिस प्रशासन मिलकर ही छात्राओं के भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं, लेकिन आरोपी मयंक वत्स के पास छात्राओं के कागजात भी हो सकते हैं।

  • दी जाएगी राहत

कनोहर लाल पीजी कालेज का मामला संज्ञान में आया है। एक दिन के लिए पोर्टल खोलने पर रविवार को फैसला लिया जाएगा। छात्राओं के भविष्य से खिलावाड़ न हो, इसका ध्यान रखा जाएगा। -प्रो. धीरेन्द्र वर्मा, रजिस्ट्रार सीसीएसयू, मेरठ।

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