Sunday, September 8, 2024
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वर्षा ऋतु में होने वाली बीमारियां

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नीतू गुप्ता

वर्षा ऋतु में पानी जनित बीमारियां थोड़ी सी लापरवाही होने पर एकदम शरीर को जकड़ लेती हैं क्योंकि इन दिनों जल दूषित हो जाता है। आइए जानें इनसे कैसे बचें।

पीलिया

बरसातों में पीलिया जल्दी से फैलता है। यह रोग दूषित पानी पीने से, कटे हुए फल खाने से व बासी भोजन के सेवन से होता हे। इन दिनों पानी जगह जगह भर जाता है। इससे मच्छर, मक्खियां और कई बैक्टीरिया पनपने लगते हैं जो पीलिया फैलाने में मदद करते हैं। इसके लिए पानी फिल्टर किया हुआ या उबाल कर ठंडा कर पानी पिएं। फल और कच्ची सब्जियां विशेषकर जो सलाद के लिए काटते हैं। इनका सेवन अच्छे से धो पोंछकर, छीलकर ताजा काट कर करें। खाना ताजा खाएं। अगर हम इन दिनों में सावधानी बरतेंगे तो इस बीमारी से स्वयं को बचा सकते हैं।

हैजा

हैजा होने पर जी मिचलाता है, उलटियां होने लगती हैं और डायरिया भी होने लगता है। यह भी साफ सफाई की कमी से और गंदे पानी के सेवन से फैलता है। इन दिनों प्रदूषित सीफूड का सेवन भी हैजा फैलाने में मदद करता है। पूरा पका खाना खाएं। सफाई का विशेष ध्यान दें। बाजार में मिलने वाले कटे फल का सेवन न करें। हैजा होने पर ओआरएस का घोल पिएं, खाना बहुत हल्का लें। स्वच्छ पानी का सेवन करें।

डायरिया

डायरिया का मुख्य कारण प्रदूषित जल में पनपे कीटाणु होते हैं जो हमारे भोजन को दूषित बना देते हैं। ऐसे भोजन के सेवन से आमाशय व आंतों में गड़बड़ी होती है और प्रभावित व्यक्ति डायरिया ग्रस्त हो जाता है। डायरिया रोग में रोगी बार बार शौच के लिए जाता है। डायरिया ओर हैजा जैसे रोगों में शरीर में पानी की कमी हो जाती है। अगर साथ साथ नींबू पानी, ओआरएस घोल, छाछ का सेवन न किया जाए तो रोगी की हालत बिगड़ने लगती है, इन दिनों पहले से कटे फल सब्जी का सेवन न करें, ना ही सीफूड का सेवन करें। खाने को उचित रूप से ढक कर रखें।

आर्सेनिकोसिस

आर्सेनिक एक तरह का कैमिकल होता है जो प्राकृतिक रूप से पानी में मिला होता है। लंबे समय तक रखे पीने के पानी में आर्सेनिक के अंश ज्यादा होते हैं। ताजे पानी में इसकी मात्रा काफी कम होती है। आर्सेनिक एक विषैला तत्व है जो हमारे लिए हानिकारक है। लगातार ज्यादा बासी पानी पीने से त्वचा का रंग बदलने लगता है। इससे डायबिटीज, ब्लडप्रेशर व प्रजनन संबंधी रोग होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे त्वचा, आमाशय, गुरदे और फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा भी बढ़ सकता है।

टायफायड

टायफायड भी प्रदूषित पानी के सेवन से होता है। गंदे पानी के कीटाणु हमारी आंतों व रक्त में प्रवेश कर इस बीमारी को जन्म देते हैं। टायफायड में तेज बुखार, बेचैनी,सिरदर्द, कब्ज व छाती में लाल रंग के चकत्ते हो जाते हैं। फौरन डाक्टर से मिलकर खून की जांच करवा समय पर दवा का सेवन डाक्टर के परामर्श अनुसार शुरू कर देना चाहिए।

हेपेटाइटिस

प्रदूषित पानी और संतुलित भोजन के सेवन से लिवर में सूजन आ जाती है जिससे भूख नहीं लगती, जी मिचलाता है, शारीरिक कमजोरी महसूस होती है और बुखार तेज होता है। हेपेटाइटिस ए और ई संक्र मण से फैलते हैं। डाक्टर से परामर्श कर उचित दवा का सेवन जल्दी शुरू करें।


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