Sunday, September 8, 2024
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एसएसपी आफिस पर बेहोश हुई पीड़िता

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दैनिक जनवाणी गत सोमवार से एक मुहिम के तहत एसएसपी आफिस पर डेरा डालकर एक एक पीड़ित के दर्द को अत्यंत बारीकी से समझने की कोशिश में जुटा हुआ है। इस पूरे प्रकरण में सर्वाधिक पीड़ादायक बात यह है कि पीड़ितों की सुनवाई तो एसएसपी साहब कर ही रहे हैं मगर, सवाल उठता है कि ऐसे थानेदारों की जांच कब होगी जहां तमाम पीड़ितों की सुनवाई नहीं हो रही है। पुलिस की कार्यप्रणाली पर अब सवाल उठाया जाने लगा है। एक फरियादी जब हल्का सिपाही से लेकर मुकामी थानेदार के पास अपनी पीड़ा लेकर पहुंचता है तब उसकी भीगी आंखों में उम्मीद की एक किरण जगमगाती है। वह इस आशा के साथ थाने पर जाता है कि यहां हमें न्याय जरूर मिलेगा। मगर, पीड़ित की वह उम्मीद तब तिल तिलकर बिखर जाती है जब थानेदार पीड़ित के दर्द की अनदेखी कर उसकी पीड़ा सुनने से इंकार कर देता है। बावजूद इसके पीड़ित न्याय की उम्मीद का दीपक लेकर वह उच्चाधिकारियों से न्याय पाने के लिए गुहार लगाता है। यह कोई इमोशनल ड्रामा की स्टोरी नहीं है अपितु एसएसपी दफ्तर पर रोजाना दर्जनों से अधिक की तादात में पहुंचने वाले पीड़ितों की दास्तान है। जिलेभर के थाना इलाकों से पीड़ित अपनी अपनी पीड़ा लेकर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रोहित सिंह सजवाण के पास आते हैं। हालांकि एसएसपी साहब पीड़ितों को न्याय दिलाने का पूरा आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन मामला तो फिर उन्हीं थानेदारों के पास ही जा रहा है जहां पीड़ित का दर्द सुना नहीं गया है। ऐसे में फरियादियों की फरियाद का क्या होगा। प्रदेश सरकार की वायदा का क्या होगा जो आम जनता से किया गया है। जनता की नजरों में सरकार की हो रही किरकिरी का क्या होगा। इसका जिम्मेदार का कौन।

  • मचा हड़कंप, थानेदारों से टूट रही न्याय की उम्मीद!, मीडियाकर्मियों से दर्द साझा कर रहे हैं पीड़ित

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मंगलवार सुबह 10 बजे ही रोजाना की तरह पीड़ितों का आना शुरू हो जाता है और सिलसिला दिन के दो बजे तक चलता रहता है। इसी बीच थानाक्षेत्र लिसाड़ीगेट की रहने वाली एक महिला सायरा रोती बिलखती एसएसपी दफ्तर पर दाखिल होती है। सबसे पहले हमेशा की तरह मीडियाकर्मी घेर लेते हैं और एक-एक कर पीड़िता की आपबीती सुनते हैं।
दैनिक जनवाणी की टीम ने भी सायरा के दु:ख को साझा करने की कोशिश की।

इस दौरान पीड़िता सायरा ने बताया कि कुछ दबंग टाइप लोग हैं जो उसे अक्सर छेड़ते रहते हैं। सायरा अपनी बात पूरी कर चुकी थी। वह अपनी शिकायत एसएसपी साहब के सामने रखकर वापस आ चुकी थी। अचानक एसएसपी दफ्तर के सामने वह चक्कर खाकर नीचे जमीन पर गिर पड़ी। चारो तरफ हड़कंप मच गया। कुछ महिला कांस्टेबल और अन्य लोगों के परिजन भी पहुंचे और किसी तरह पानी का छींटा दिया और महिला को पकड़कर ले जाया गया।

केस-1

थाना लिसाड़ीगेट की रहने सायरा के मुताबिक अचानक उसके पड़ोसी चार पांच की संख्या में उसके घर में धारदार हथियार लेकर घुस आते हैं और सायरा के साथ अश्लील हरकतें करने लगते हैं। पति के विरोध करने पर उसको बुरी तरह से पीटते हैं। आवाज सुनकर देवर दानिश बचाने के लिए आता है

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आरोपी उसको भी जमकर मार पीटकर घायल कर देते हैं। आस पड़ोस लोग आते हैं और किसी तरह से बचाकर प्यारेलाल अस्पताल में भर्ती करा देते हैं। फिलहाल पति अस्पताल में भर्ती है। थाना लिसाड़ीगेट सुनवाई नहीं कर रहा पीड़िता न्याय की आस लेकर एसएसपी साहब के पास आई और न्याय दिलाने आश्वासन दिया गया है।

केस-2

थानाक्षेत्र भावनपुर की रहने वाली रीना भी एसएसपी दफ्तर न्याय पाने के लिए पहुंची हुईं थीं। रीना को उसके पति ने लाठी-डंडों से बुरी तरह पीटा है जिससे वह चलने में अस्मर्थ है। रीना को एक औरत गोदी में उठाकर लेकर आई है। दर्द रीना का भी कुछ ऐसा है कि कहा न जा सके।

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रीना के पास एक 11 साला बेटी और दो छोटे छोटे बेटे हैं। भावनपुर थाने में रीना की सुनवाई नहीं हुई मजबूरन वह एसएसपी साहब से न्याय पाने की उम्मीद लेकर आ पहुंची। हालांकि एसएसपी साहब ने मुलाकात की और रीना को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया।

केस-3

गरीब बेवा रोशन की दर्द सुनने वाले कोई नहीं है। रोशन का बेटा दानिश गली मोहल्लों में जाकर कबाड़ खरीदकर किसी तरह से पेट पालता है। 16 अगस्त को सुबह करीब नौ बजे वह घर से फेरी लगाने के लिए रोज की तरह ही निकला था। मगर, देर रात्रि तक बेवा रोशन का बेटा जब घर नहीं पहुंचा तो वह परेशान हो उठी। रातभर रोती बिलखती रही बेवा रोशन को अलसुबह खबर मिली कि तुम्हारा बेटा लिसाड़ी स्टेशन के पास खून से सराबोर पड़ा है।

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बेवा रोशन लोगों की मदद से पुत्र दानिश को अस्पताल ले हालत बेहद गंभीर है। मगर, बेवा रोशन के मुताबिक अल्लाह ने मेरी सुन ली और मेरे बेटे की जिंदगी दे दी एक मां की झोली भर दी। घटना के बारे बेवा रोशन और बेटा दानिश के मुताबिक शाकिर और उसके तीन अन्य साथियों ने लोहे की राड से पीटा और मरा समझकर फेंककर चले गए थे।

पीड़ितों के अनुसार 17 अगस्त को थाना लिसाड़ीगेट पर जाकर नामजद तहरीर दी मगर कार्रवाई कुछ नहीं हुई। लेकिन, आरोपियों ने जान से मारने धमकी और देने लगे। अब हम कहां जाएं थक हारकर एसएसपी साहब के पास आए हैं उन्होंने न्याय दिलाने का आश्वासन दिया है।

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