Sunday, September 8, 2024
- Advertisement -
Homeसंवादसही चुनाव

सही चुनाव

- Advertisement -

 

Amritvani 6


गुरु अंबुजानंद के पास अनेक शिष्य शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते थे। चूंकि अंबुजानंद काफी वृद्ध हो गए थे, गुरुकुल चलाना उनके लिए कठिन हो रहा था। वह अपने शिष्यों में से ही किसी एक को गुरुकुल का सारा कार्यभार सौंपना चाहते थे। एक दिन उन्होंने अपने 18 श्रेष्ठ विद्यार्थियों को अपने पास बुलाया। उन्होंने उनसे कहा, ‘आप सभी प्रतिभाशाली, मेहनती और ईमानदार हैं। यदि मैं आपको शिक्षा के लिए किसी विशेष क्षेत्र में नियुक्त करना चाहूं तो आप कौन-कौन से क्षेत्र को चुनना चाहेंगे?’ यह सुनकर सभी शिष्य कुछ देर सोचते रहे और फिर 17 विद्यार्थियों ने अपने-अपने मनपसंद क्षेत्रों के नाम गुरु को बता दिए। अठारहवां शिष्य आयुष अभी तक कुछ सोच ही रहा था। उसे चुप देखकर गुरु ने पूछा, ‘बेटा आयुष, तुमने अपने लिए किसी क्षेत्र का चुनाव नहीं किया?’ गुरु की बात सुनकर आयुष ने सिर झुकाकर कहा, ‘गुरुजी, मैंने आपसे ही शिक्षा ग्रहण की है। मैं आपके द्वारा सीखी गई शिक्षा को जन-जन तक फैलाना चाहता हूं। इसके लिए मुझे किसी क्षेत्र विशेष का चुनाव करने की आवश्यकता नहीं है। मैं हर क्षेत्र में आपके द्वारा प्रदान की गई शिक्षाओं को दूसरों तक पहुंचाना चाहूंगा। हालांकि क्षेत्र से भी ज्यादा महत्वपूर्ण हैं, आपके दिए गए मूल्य या संस्कार का प्रसार, जो शास्त्रों से अलग हैं। मैं चाहता हूं कि लोग उन्हें जानें, ताकि वे नैतिक दृष्टि से भी श्रेष्ठ हों। मात्र पुस्तकीय ज्ञान से कुछ नहीं होने वाला है। आपने जो अनुशासन का पाठ हमें पढ़ाया है, उसे तो मैं विशेष रूप से सिखाना चाहूंगा। ज्ञान पाने के लिए व्यक्तित्व को एक खास सांचे में ढालना पड़ता है। आपने जिस तरह हमें ढाला है, मैं भी दूसरों को ढालना चाहूंगा।’ आयुष की बात सुनकर गुरु अंबुजानंद का चेहरा प्रसन्नता से खिल उठा। उन्होंने उसे गले से लगाकर कहा, ‘बेटा, आज से यह गुरुकुल तुम्हारी देखरेख में ही चलेगा।’


janwani address 24

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

Recent Comments